नई दिल्ली। हर साल 1 अक्टूबर को विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegetarian Day) मनाया जाता है. वर्ल्ड वेजिटेरियन डे यानी विश्व शाकाहार दिवस की स्थापना 1977 में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसायटी (NAVS) द्वारा की गई थी. गो स्पिरिचुअल इंडिया बहुत दिनों से भारत में शाकाहार को अपनाने और बेजुबान जानवरो के लिए दयालुता के अभियान पर काम कर रहा है। विश्व शाकाहारी दिवस के अवसर पर गो स्पिरिचुअल इंडिया अपने इस अभियान को विश्व तक लेकर जायेगा। अध्यात्म में शाकाहारी होने का विशेष महत्त्व है। गो स्पिरिचुअल इंडिया एक प्रमुख आध्यात्मिक और सामाजिक सेवा संस्था है जो की समाज सेवा, आध्यात्मिक जागरूकता, आध्यात्मिक पर्यटन , मीडिया , आर्गेनिक , मानसिक स्वास्थ्य और वैलनेस में कार्य करती है।
अपनी खाने की थाली में किसी मासूम- बेजुबान की कटी-फटी लाश को शामिल करने के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए गो स्प्रिच्युअल इंडिया ने शाकाहार अपनाने पर जोर दिया। परोपकार और आध्यात्म की मशाल थामे ‘गो स्प्रिच्युअल इंडिया’ दीन – दुखियों की सेवा पर जोर देता है आध्यात्म हमे सिर्फ मानव जाती के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण प्रकर्ति के लिए दयालु होना सिखाता है । मानव और बेजुबान जानवर दोनों ही इस खूबसूरत प्रकर्ति का अभिन्न हिस्सा है जिसे एक सर्वोच्च शक्ति भगवान ने बनाया है।
गो स्पिरिचुअल इंडिया अपने आध्यात्मिक दर्शन के साथ साथ ‘ गो वेजीटेरियन ‘ अभियान को भारत के बाद अब विश्व स्तर पर लेकर जायेगा। गो वेजीटेरियन अभियान के द्वारा लोगो को शाकाहारी होने और बेजुबान जानवरो के प्रति दयाभाव को प्रोतसाहित किया जायेगा।
संस्था इसके लिए बड़े स्तर पर विश्व मीडिया , सोशल मीडिया और डिजिटल, फिल्म , इवेंट्स और गो स्पिरिचुअल इंडिया के स्वयंसेवको को लगाएगी
गो स्पिरिचुअल इंडिया पहले से ही भूख मिटाओ और कम्बल दान अभियान पर भी काम कर रही है। गो स्पिरिचुअल इंडिया के भूख मिटाओ अभियान में भूखे और जरूरत मंद लोगो को भोजन कराया जाता है। भोजन दान के साथ साथ संस्था लोगो को भी भोजन दान के लिए प्रोत्शाहित करती है। संथा के इस काम को बहुत से कॉर्पोरेट और आध्यात्मिक व्यक्ति सहयोग करते है। वही हर बार सर्दियों के आरम्भ होने से पहले गो स्पिरिचुअल इंडिया विशेषकर उत्तर भारत के प्रमुख शहरो और कस्बो में बेघर लोगो के लिए कम्बल दान का अभियान चलाती है। संस्था पहले ही दिल्ली , जयपुर, चंडीगढ़ , जम्मू , जालंधर , शिमला , ग़ज़िआबाद , गुडगाँव और अन्य शहरो में कम्बल दान अभियान चला चुकी है। कड़कड़ाती ठण्ड में बेघर लोगो की स्तीथि बहुत दयनीय हो जाती है और बहुत से लोगो की ठण्ड में जान भी चली जाती है। गो स्पिरिचुअल इंडिया बेघर और जरूरत मंद लोगो तक स्वयंसेवको के जरिए पहुंचकर कम्बल और गर्म कपडे प्रदान करता है। संस्था के कम्बल दान अभियान में पुरे भारत से लोग सहयोग करते हैं वही बॉलीवुड सेलिब्रिटी ने भी अभियान का सहयोग किया है।
मानव सेवा की साथ साथ गो स्पिरिचुअल इंडिया ने जानवरों पर दया दिखाने की पुरजोर मांग की है। प्राणी मात्र पर दया दिखाने का ये संदेश तेजी से असर करता भी दिखाई दे रहा है और बहुत से लोग शाकाहार के साथ साथ जीव दया को भी अपना रहे है।
‘गो स्प्रिच्युअल इंडिया’ अपने परोपकार और आध्यात्मिक गतिविधिओ के कार्यों से तेजी से ख्याति बटोर रहा है। भूखे लोगों को भोजन कराने की मुहिम से लेकर ठंड में कांपते लाचार और बेसहारा लोगों को कंबल बांटने तक ‘गो स्प्रिच्युअल इंडिया’ के प्रयास तेजी से जोर पकड़ते जा रहे हैं। कमोबेश लोगों को भी अध्यात्म के विचार अपील करने लगे है।
धीरे-धीरे ‘गो स्प्रिच्युअल इंडिया’ के परोपकार के कार्यों का दायरा भी बढ़ता जा रहा है और मदद करने वाले हाथ भी आगे आ रहे हैं। इसमें खाना जुटाने से लेकर कम्बल दान के लिए सहयोग जुटाने तक में कई समाज सेवी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते जा रहे हैं। मगर ‘गो स्प्रिच्युअल इंडिया’ के बढ़ते कदम अब रुकने को तैयार नहीं हैं। इस बार मिशन ‘गो स्प्रिच्युअल इंडिया’ ने पूरी दुनिया को मांसाहार से मुक्त बनाने का आह्वान करते हुए मांसाहार को निशाने लिया है।
समाज सेवा, अध्यात्म और गो स्पिरिचुअल इंडिया से जुड़े प्रेम अग्रवाल के मुताबिक मनुष्य की बायोलॉजी किसी भी तरह से मांसाहार को पचाने के लिए नहीं बनी है। सिर्फ शाकाहारी जानवर ही खाने को चबा कर खाते हैं और सभी मांसाहारी जानवर खाने को काट कर सीधा सटक जाते हैं। मगर योग में निरोग रहने के लिए भोजन को सही प्रकार से चबा कर ही खाना सिखाया जाता है। मनुष्यों की आंतों की बनावट भी किसी भी तरह मांसाहार को पचाने के लिए नहीं बनी हैं। अगर फिर भी जिद में या स्वाद के लालच में मनुष्य मांस का सेवन करने लगता है तो सिर्फ कई तरह की बीमारियों को अपनाता है।
योग शिक्षक नवदीप जोशी मानते हैं कि मनुष्य का शरीर मांसाहार के लिए बना है या शाकाहार के लिए, इसे पहचानना बेहद आसान है। अगर आप बिना किसी मसाले उबले हुए एक चम्मच चावलों या रोटी के एक टुकड़े को बिना चबाए मुंह में रखें तो कुछ ही देर में उसका स्वाद मीठा हो जाता है। क्योंकि मनुष्य की लार से ही भोजन के पचने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है। किसी भी मांसाहारी जीव के साथ ऐसा नहीं होगा। वहीं मनुष्य के दातों से लेकर उसकी आंतों तक की बनावट किसी शाकाहारी के लिहाज से ही डिजाइन की गई है।
सिर्फ स्वाद या प्रोटीन के लालच में अगर आप मांसाहार की ओर बढ़ने को हद से ज्यादा कृतघ्नता के अलावा क्या समझा जा सकता है। ‘गो स्प्रिच्युअल इंडिया’ की ओर से सोनू त्यागी ने पूरी दुनिया खास कर हिंदुस्तान से मांसाहार को हटाने की अपील करते हुए शाकाहार को ही रोजाना के आहार में स्वीकार करने का आह्वान किया।
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