क्या बात है शहर में, मयखाने बहुत है
शायद तेरे यहाँ , दीवाने बहुत हैं,
मैं भी एक मयखाने में , रहता हूँ आजकल
मेरे भी दर्द कुछ, पुराने बहुत हैं
कुछ दर्द बयां करता हूँ, गैरों मैं बैठकर
यु तो मेरे अपनों के , ठिकाने बहुत है
अब तुम क्यों सुनोगे, मेरी दास्तान
तभी तो शहर में , मयखाने बहुत है